
संत रविदास जी
रविदास जी और कबीर साहेब समकालीन थे। रविदास जी ने कबीर साहेब को अपना गुरु बनाया और मोक्ष प्राप्त किया।
गरीब द्वादश तिलक बनायें कर,नाचौ घर घर जाय।
कनक जनेयू काड़या, सत रविदास चमार।।
रैदास खबास कबीर का, जुगन जुगन सत्संग ।
मीरां का मुजरा हुआ, चढ़त नबेला रंग।।
चमड़े मास और रक्त से, जन का बना आकार।
आंख पसार के देख लो, सारा जगत चमार।।
कबीर हरि सा हीरा छाड़ कै, करै आन की आस।
ते नर दोजख जाएंगे, सत भाखै रविदास।
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